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सांता क्लॉज

आज सुबह सुबह श्रीमती जी रजाई खेंचते हुये बोलीं "कब तक रजाई में ही दुबके हुये पड़े रहोगे ? देखो, बाहर कितनी अच्छी गुनगुनी धूप निकल रही है । यहां आ जाइये । चाय भी तैयार है । और आज तो सांता क्लॉज भी आने वाले हैं ना" । मुस्कान की किरणें बिखराकर उन्होंने कहा । 
इतनी प्यारी सुबह उस पर श्रीमती जी की इतनी प्यारी बातें और उस पर इतनी हसीन अदाएं ! उफ ! कौन ना मर जायेगा इन पर ? हम तो चीज ही क्या हैं ? 

हम भी अपने मूड में आ गये । श्रीमती जी का हाथ पकड़कर जैसे ही उन्हें अपनी ओर खींचा, कटे हुये पेड़ की तरह गद्द से गिर पड़ी हमारे ऊपर । हमने अपनी हथेलियों में उनका सुंदर मुखड़ा थामकर उनकी बड़ी बड़ी आंखों में देखकर कहा 

" हम तो एक ही सांता क्लॉज को जानते हैं बाकी किसी को नहीं । और वह सांता क्लॉज हमारे घर पर बहुत पहले ही आ चुका है । हर साल एक दिन आने वाला सांता क्लॉज नहीं है वह । वो हमेशा मेरे साथ रहता है । घर हो चाहे बाहर । दिन हो चाहे रात । खुशी हो या गम । वो साथ रहता है हरदम । प्रिये, तुम ही सांता क्लॉज हो मेरी । मेरी जिंदगी खुशियों से भर दी है तुमने । दुनिया की हर खुशी तुम्हारे होने से है । तुम साथ होती हो तो पतझड़ का मौसम भी बहारों में बदल जाता है । तुम्हारी लाली से हमारे चेहरे पर भी नूर आ जाता है । तुम्हारी शोख अदाओं पे दिल निसार है । ये दिल तुम्हारा आज भी तलबगार है । जजबातों में तुम हो । खयालातों में तुम हो । मुलाकातों में तुम हो । कायनातों में तुम हो । तुम्हारे होने से हम हैं वरना जिंदगी में गम ही गम हैं । चौबीसों घंटे प्यार की बरसात करने वाला सांता क्लॉज एक ही हो सकता है । और वह तुम ही हो । सिर्फ़ तुम । खुशनसीब हैं हम जो हमें इतना शानदार सांता क्लॉज मिला" । 

वो शरमाती हुई, लजाती हुई, मुस्कुराती हुई , आंखों ही आंखों में घुलती हुई बोली "आप तो मस्का लगाने में माहिर हैं । मस्का लगाने का कोई भी मौका नहीं छोड़ते हैं आप ।  आप चाहे कितना भी मस्का लगा लें मगर मैं वो सब नहीं करने दूंगी जो आप चाहते हैं" । और वह मुस्कुराकर एकदम से हाथ झटक कर भाग खड़ी हुई । हम हाथ मलने के अलावा और क्या कर सकते हैं.? 

हरिशंकर गोयल "हरि"
24.12.21

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